बाल मनोविज्ञान पर आधारित ‘ज्ञान सरिता’ काव्य संग्रह का अद्वितीय विमोचन

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चंबा (राजेन्द्र ठाकुर)
एचटूओ हाउस चमीनु – साहित्य और सृजन के संगम पर हिमाचल प्रदेश के हृदय स्थल चंबा में एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक क्षण का साक्षी बना एचटूओ हाउस, जहाँ बहुप्रतीक्षित ‘ज्ञान सरिता’ बहुभाषी काव्य संग्रह का भव्य विमोचन समारोह अत्यंत गरिमा और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। यह संग्रह हिमाचल के विभिन्न जिलों के 31 नवोदित और प्रतिष्ठित रचनाकारों की रचनाओं का एक अनुपम धरोहर है, जिसमें हर कविता बच्चों के मनोविज्ञान और उनकी रुचि को केंद्र में रखकर रची गई है।

इस साहित्यिक उत्सव का आयोजन दो सत्रों में किया गया। पहले सत्र के मुख्य अतिथि श्री भाग सिंह चौहान, उपनिदेशक निरीक्षण प्रकोष्ठ चंबा, अपने उद्बोधन में साहित्य के महत्व और उसकी समाज में भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘ज्ञान सरिता’ संग्रह न केवल बच्चों के मनोभावों को छूता है, बल्कि वह समाज को सही दिशा में मार्गदर्शन देने का भी प्रतीक है। दूसरे सत्र में, हिमाचल के सुविख्यात जीव विज्ञानी और सेवानिवृत प्राचार्य श्री विपिन चंद राठौर ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। उन्होंने साहित्य और कविता की अनमोल धरोहर को मानव जीवन का अभिन्न अंग बताया, जिससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन का संचार होता है।

पुस्तक और रचनाकारों का परिचय
काव्य संग्रह का संपादन श्री युद्धवीर टंडन और उप संपादन श्री किरण कुमार वशिष्ठ ने किया है, जिन्होंने इस संग्रह को साहित्यिक सौंदर्य और मौलिकता से सुसज्जित किया। इस संग्रह में शक्ति चंद राणा, कमलेश सूद, अनीता भारद्वाज, डॉ. कविता बिजलवान, पूजा सूद डोगर, उत्तम सूर्यवंशी, शाम अजनबी, महाराज सिंह परदेसी, डॉ. विकास गुप्ता, केहर सिंह राजौरिया, तपेश पुजारी, सुभाष चंद, मंजू शर्मा, रितु पुरी, राजकुमारी, अब्दुल रहमान, अविनेश ठाकुर, अनिल कुमार, नरेश ठाकुर, अशोक कालिया, पवन कुमार, हेमलता, सुनील कुमार, पवन मेहरा, धर्म देवा, नेक राज अत्री, सुरेंद्र शर्मा, बालम सिंह और प्रभात सिंह राणा जैसे कई ख्यातिप्राप्त रचनाकारों ने अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति की है। ‘ज्ञान सरिता’ का प्रकाशन निखिल पब्लिशर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स, आगरा द्वारा किया गया है, जो इसके बहुभाषी और विविधता से परिपूर्ण स्वरूप को हर वर्ग के पाठकों तक पहुंचाने में सहायक रहेगा।

पहले सत्र की महत्ता
कार्यक्रम के पहले सत्र में श्री आशीष बहल ने पुस्तक की गहन और समृद्ध समीक्षा प्रस्तुत की। उनकी समीक्षा ने ‘ज्ञान सरिता’ के हर पृष्ठ की गहराई में छिपे अर्थ को उजागर किया। श्री पवन जरयाल ने पुस्तक की भूमिका प्रस्तुत करते हुए इसके सामाजिक और साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला। उप संपादक श्री किरण कुमार वशिष्ठ ने मंच पर रचनाकारों द्वारा प्रस्तुत कविताओं की सराहना करते हुए उन्हें समाज के मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
दूसरे सत्र की विशिष्टता
दूसरे सत्र में संपादक श्री युद्धवीर टंडन ने सभी रचनाकारों, मुख्य अतिथियों और आयोजन समिति के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया। मुख्य अतिथियों को शॉल, टोपी, बैज और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। अपने उद्बोधन में श्री राठौर ने कहा, “कविता हमारी परिष्कृत भावनाओं और विचारों को समाज तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम है। एक रचनाकार का प्रथम कर्तव्य होता है कि वह समाज की उन्नति और कल्याण के बारे में सोचे।”

सम्मान समारोह
इस भव्य आयोजन में सभी प्रतिभागी रचनाकारों को ‘ज्ञान सरिता सम्मान’ से विभूषित किया गया। उन्हें शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान की सराहना की गई। कार्यक्रम में राजकीय प्राथमिक पाठशाला मोड़ा के बाल रचनाकारों द्वारा भी सुंदर काव्य प्रस्तुतियां दी गईं, जिसने समारोह को और भी रोचक और जीवंत बना दिया। इसके साथ ही मिमिक्री कलाकार मुजफ्फर मोहम्मद ने अपनी हास्यपूर्ण प्रस्तुति से उपस्थित जनसमूह का भरपूर मनोरंजन किया और तालियों की गड़गड़ाहट में वाहवाही बटोरी।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर हिमाचल के प्रसिद्ध साहित्यकार श्री जगजीत आज़ाद, श्री सुभाष साहिल, श्री फिरोज कुमार रोज, श्री भूपेंद्र जसरोटिया, श्री हिंगराज चिराग, श्रीमती भावना मरौल, श्री केवल भारती जैसे विशिष्ट रचनाकार भी उपस्थित रहे। सभी ने इस सफल आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की और आयोजन मंडल के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

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