*ट्रेजरी को 80 करोड़ यानी उंट के मुहं में जीरा: विपिन परमार*

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पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, पूर्व मंत्री, कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र के भाजपा प्रभारी व विधायक विपिन सिंह परमार ने ट्रेजरी को 80 करोड़ जारी करना उंट के मुहं में जारा बताया है। उन्होंने कहा कि इस पैसों से तो जिला कांगड़ा के ठेकेदारों का भी भुगतान होना असंभव है, जबकि सुक्खू सरकार की नाकामियों की वजह से अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि पिछले दो महीने से प्रदेश की ट्रेजरी अघोषित रूप से बंद है, लोग सरकार से अपने पैसे भी वापस नहीं पा रहे हैं। ट्रेजरी से हर प्रकार के भुगतान रुके हैं, जिसकी वजह से प्रदेश का नुकसान हो रहा है। प्रदेश में आज तक ऐसी स्थिति कभी नहीं आई कि इस प्रकार से अघोषित रूप से ट्रेजरी बंद करनी पड़ी हो और आम जनमानस से लेकर तमाम सेवाओं के वेंडर्स के भुगतान रुके पड़ें हों। एसेंशियल दवाओं की सप्लाई भी दवा सप्लायरों ने रोक दी हो। व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार वह सारे काम कर रही है जो एक नाकाम सरकार की निशानी होती है। प्रदेश के लोगों को परेशान करने के बाद भी यह सरकार व्यवस्था परिवर्तन का हवाला देकर वाहवाही लूटनक कर कोशिशें कर रही है। उन्होंने कहा सुक्खू सरकार व्यवस्था पतन की सरकार है जिसकी नाकामी की कीमत पूरे प्रदेश के लोग चुका रहे हैं। विपिन परमार ने कहा कि इस समय पूरा प्रदेश में विकास के काम ठप पड़े हैं। स्कूल जैसे संस्थानों को बंद किया जा रहा हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सरकार बर्बाद करने पर आमादा है। सुख की सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्था का जिस प्रकार बेड़ागर्क हुआ है वह पूरे प्रदेश से छुपा नहीं है। दवाइयों के पैसे मांगते-मांगते दवा सप्लायरों ने दवाओं की सप्लाई भी अस्पताल में बंद कर दी है। हिमकेयर के भुगतान रोके जाने की वजह से प्रदेश वासियों को मिलने वाले निःशुल्क इलाज का रास्ता सरकार बंद कर चुकी है। प्रदेश में जहां भी जाओ लोग सरकार की नाकामी का हवाला दे रहे हैं। सरकार के पास पड़े लोगों के अपने पैसे भी सरकार नहीं दे पा रही है। अस्पतालों में दवाई नहीं है और न ही कर्मचारियों के इलाज के बिल पास हो रहे हैं। लोगों का सरकार से भरोसा उठ गया हो। सुक्खू की सरकार व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर व्यवस्था पतन और सुख की सरकार के नाम पर दुख की सरकार चला रही है।उन्होंने कहा कि ट्रेजरी को अघोषित रूप से बंद करके प्रदेश के विकास कार्यों को कैसे गति दी जा सकती है? सरकार को इसके परिणाम के बारे में सोचना चाहिए। अगर ट्रेजरी बंद होगी तो प्रदेश का काम प्रभावी तरीके से कैसे चलेगा। जिस तरह यह सरकार चल रही है। उससे प्रदेश का भला होने वाला नहीं है। आज हर दिन कोई न कोई वर्ग सरकार के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है। सरकार को चुनाव और चुनाव के बाद किए गए वादों की याद दिला रहा है। झूठी गारंटियों के दम पर आई कांग्रेस ने अब गारंटियों से किनारा ही कर लिया है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री लोगों की समस्याओं को समझते हुए ट्रेजरी पर लगाया गया पहरा हटाएं। लोगों के बिलों का भुगतान रोककर इस तरह उन्हें परेशान करना सरकार का काम नहीं है। सरकार व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर अराजकता फैलाना बंद करे।

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