शिमला
सीटू के बैनर तले हिमाचल मानसिक स्वास्थ्य एवं पुनर्वास अस्पताल शिमला के मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर अस्पताल परिसर के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन लगभग दो घंटे चला। प्रदर्शन में विजेंद्र मेहरा, बालक राम, रंजीव कुठियाला, मेहर सिंह पाल, प्रताप चौहान, कपिल नेगी, मंगत चौहान, किशोर, विजय, जगदीश, संत राम, राजेश, संजीव खागटा, शंकर, सुभाष, देवराज बबलू, भूमि, सुशीला, दिनेश, प्रेम, रीना, रजनी, सीता, चन्दो देवी, राजकुमार, विद्याधर, निर्मला, कांता आदि मौजूद रहे। यूनियन ने फैसला लिया है कि अगर मजदूरों की मांगों को तत्काल पूर्ण न किया गया तो यूनियन को हड़ताल का रास्ता चुनना पड़ेगा।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, जिला कोषाध्यक्ष बालक राम एवं यूनियन नेता रजनी देवी ने अस्पताल प्रबन्धन व ठेकेदार पर मजदूरों के गम्भीर शोषण का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मजदूरों को समय से वेतन नहीं दिया जा रहा है। वेतन भुगतान अधिनियम 1936 के अनुसार वेतन हर महीने सात तारीख से पहले मिलना चाहिए लेकिन मजदूरों को वेतन भुगतान हर महीने 25 तारीख को किया जाता है। मजदूरों को अस्पताल की वर्दी पहनने के लिए चेंजिंग रूम तक की व्यवस्था नहीं है जबकि अस्पताल में ज्यादातर कर्मी महिलाएं हैं। मजदूरों को कानून अनुसार मिलने वाली दो वर्दियों का प्रावधान नहीं किया गया है। उन्हें श्रम कार्यालय में हुए समझौते अनुसार छुट्टियां भी नहीं दी जा रही हैं। छुट्टी करने पर मजदूरों को अनुपस्थित किया जा रहा है व उनका वेतन काटा जा रहा है। उन्हें कई वर्षों की सेवा के बावजूद भी श्रम अधिकारी द्वारा सत्यापित पहचान पत्र अस्पताल प्रबंधन व ठेकेदार द्वारा जारी नहीं किए गए हैं। सफाई कर्मियों से जबरन अस्पताल भवन की छतों का असुरक्षित कार्य भी करवाया जा रहा है जिससे कभी भी कोई हादसा हो सकता है व छत से गिरने से किसी की भी जान जा सकती है। मजदूरों को लंच करने के लिए कमरा तक नहीं दिया गया है। मजदूरों के लंच रूम पर अस्पताल प्रबंधन ने ताला जड़ दिया है। मजदूरों से जबरन वार्ड राउंड करवाया जा रहा है जोकि उनका कार्य ही नहीं है। इस तरह मजदूरों को बंधुआ मजदूरी व गुलामी की तरफ धकेला जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन मुख्य नियोक्ता की अपनी भूमिका निभाने में पूरी तरह विफल रहा है। मजदूरों को ईएसआई सुविधा के प्रावधान ठोस रूप में लागू नहीं किए जा रहे हैं। उन्हें अस्पताल प्रबंधन द्वारा बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया जा रहा है। अपने अधिकार मांगने पर उन्हें नौकरी से निकालने की धमकियां दी जा रही हैं। श्रम कार्यालय में समय समय पर हुए कई समझौतों को अस्पताल प्रबंधन व ठेकेदार लागू नहीं कर रहे हैं। सफाई कर्मियों के अलावा वार्ड अटेंडेंट, चपरासी, क्लास फोर आदि अन्य आउटसोर्स कर्मियों का भी शोषण किया जा रहा है। उन्हें न्यूनतम वेतन व छुट्टियां नहीं दी जा रही हैं। उन्हें श्रम कानूनों के तहत मिलने वाली सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन व ठेकेदार की मिलीभगत से मजदूरों का भयंकर शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा व इसके खिलाफ निर्णायक आंदोलन होगा। जरूरत पड़ी तो मजदूर अपनी मांगों की पूर्ति के लिए हड़ताल पर उतर जाएंगे।