
शिमला नागरिक सभा ने बिना एनओसी व बिना नक्शा पास भवनों को महंगी बिजली देने व सब्सिडी खत्म करने के निर्णय का विरोध किया है व इसे सरकार व विद्युत नियामक आयोग का जनता विरोधी कदम करार दिया है। नागरिक सभा ने प्रदेश सरकार व विद्युत नियामक आयोग से मांग की है कि वे जनता के हित में इस निर्णय को वापिस लें। नागरिक सभा ने इस जनविरोधी निर्णय के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। नागरिक सभा ने पानी व कूड़े की दरों को बढ़ाने के खिलाफ, स्मार्ट मीटर योजना को रद्द करने तथा इस मुद्दे पर 1 अप्रैल को शिमला में प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।नागरिक सभा संयोजक संजय चौहान व सह संयोजक विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि अगर बगैर नक्शा पास व बिना एनओसी वाले उपभोक्ताओं की सब्सिडी खत्म की गई, घरेलू दरों का स्लैब सवा छः रुपये किया गया व प्रतिमाह सरकार द्वारा 125 यूनिट फ्री बिजली देने के निर्णय को लागू न किया गया तो इसके खिलाफ जनता सड़कों पर उतरेगी। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार ने मार्च 2022 में बिना एनओसी वाले भवन मालिकों को भी घरेलू उपभोक्ता की श्रेणी में रखा था व उनके लिए भी वही नियम शर्तें लागू किये गए थे जोकि नगर निकायों से एनओसी प्राप्त भवन मालिकों के लिए लागू थे। शिमला नगर निगम व अन्य नगर निकायों में काफी इलाके नगर निगमों की स्थापना के काफी बाद में जोड़े गए थे जिन्हें मर्ज्ड एरिया भी कहा जाता है। इन मर्ज्ड एरिया में नगर निगम में शामिल होने से पहले बने मकानों के लिए कोई एनओसी व नक्शा की ज़रूरत नहीं होती थी। ऐसे हज़ारों भवन बिना एनओसी व नक्शा के हैं जिसमें जनता की कोई गलती नहीं है। शिमला शहर जैसी जगह में कई गरीब बस्तियों में जनता ने कड़ी मेहनत से की कमाई से मकान बनाए हैं जिन्हें एनओसी नहीं दी गयी। हालांकि सरकारें इन गरीबों को मकान बनाने के लिए दो बिस्वा ज़मीन देने की घोषणाएं कई बार कर चुकी हैं जो आज तक नहीं मिली। सरकार के प्रशासनिक आदेशों व निर्णयों के नतीजा जनता क्यों भुगते। सत्तारुढ़ रही सभी सरकारों की गलतियों के कारण मर्ज्ड एरिया व गरीब बस्तियों में रहने वाले लोग आज भी विकास की मुख्यधारा से बाहर हैं। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग द्वारा इन भवनों को सब्सिडी व 125 यूनिट फ्री बिजली के दायरे से बाहर करना न्यायसंगत नहीं है व जनता विरोधी कार्य है। प्रदेश सरकार को मार्च 2022 के अपने निर्णय को स्पष्ट तौर पर लागू करवाने के लिए कदम उठाने चाहिए थे तथा 1 अप्रैल 2024 से प्रस्तावित एनओसी व नॉन एनओसी के घरेलू उपभोक्ता के स्लैब को पूर्ववत रखना चाहिए। उपभोक्ताओं द्वारा बिजली कनेक्शन लेने के लिए केवल मात्र पहचान पत्र व सम्पत्ति के मालिकाना हक के प्रमाणपत्र को ही घरेलू उपभोक्ता की परिभाषा तय करने का आधार माना जाना चाहिए जैसा कि मार्च 2022 में सरकार ने तय किया था। उन्होंने कहा है कि घरेलू उपभोक्ताओं में दो स्लैब बनाना किसी भी तरह तर्कसंगत नहीं है व विद्युत नियामक आयोग को यह निर्णय तुरन्त वापिस लेना चाहिए। यह निर्णय भेदभावपूर्ण है व सभी नागरिकों के समानता के अधिकार का हनन है।