पौधों की देखभाल पर मिलेगा इनाम, सरकार ने शुरू की नई योजना

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राज्य सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण विकास को साथ लेकर चलने के लिए राजीव गांधी वन संवर्धन योजना की शुरुआत की है। इस योजना के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है।

योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में हरित आवरण बढ़ाना, ग्रामीणों को रोजगार देना और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना है। इसकी खासियत यह है कि पौधों के जीवित रहने की दर के आधार पर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

ऐसे मिलेगा लाभ

  • महिला मंडल, युवक मंडल, स्वयं सहायता समूह और अन्य पंजीकृत सामुदायिक संगठन इस योजना में भाग ले सकते हैं।
  • प्रत्येक समूह को पारिस्थितिक ज़रूरत और उपलब्धता के अनुसार अधिकतम 5 हेक्टेयर तक की बंजर या खाली वन भूमि सौंपी जाएगी।
  • वन विभाग अपनी नर्सरियों से गुणवत्तापूर्ण पौधे उपलब्ध कराएगा।
  • हर संगठन को 1.20 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर (या छोटे क्षेत्रफल पर आनुपातिक राशि) उपलब्ध कराई जाएगी।
  • पौधों की जियो-टैगिंग और वास्तविक समय की ऑनलाइन निगरानी की जाएगी।
  • सभी भुगतान सीधे संगठनों के बैंक खाते में होंगे ताकि पूरी पारदर्शिता बनी रहे।

अतिरिक्त प्रोत्साहन

अगर लगाए गए पौधे अच्छी तरह से जीवित रहते हैं तो 1.20 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक की प्रोत्साहन राशि अलग से दी जाएगी।

व्यापक असर

इस योजना से:

  • ग्रामीणों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
  • जल संरक्षण, मिट्टी को स्थिर रखने और कार्बन पृथक्करण जैसे पर्यावरणीय लाभ मिलेंगे।
  • स्थानीय प्रजातियों के पौधों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे जैव विविधता में इज़ाफा होगा।
  • सबसे बड़ी बात, इससे ग्रामीण समुदायों की सक्रिय भागीदारी और सशक्तिकरण सुनिश्चित होगा।

प्रदेश सरकार का मानना है कि वर्ष 2027 तक यह योजना हरित और स्वच्छ हिमाचल के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाएगी।

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