न्यूजीलैंड की तकनीक से हिमाचल में सेब उत्पादन में क्रांति, 15 गुना बढ़ेगा उत्पादन – CM सुक्खू से मिला प्रतिनिधिमंडल

Himachal News

शिमला,

हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादन को नई दिशा देने के लिए न्यूजीलैंड की उन्नत तकनीक अपनाई जाएगी। मौजूदा समय में जहां प्रदेश में औसतन एक हेक्टेयर में केवल 6 टन सेब का उत्पादन हो रहा है, वहीं न्यूजीलैंड की तकनीक से यह क्षमता 100 टन तक पहुंच सकती है। उच्च घनत्व बागवानी, आधुनिक कटिंग-प्रूनिंग, खाद और कीटनाशक प्रबंधन से यह संभव होगा।

न्यूजीलैंड के उच्चायुक्त पैट्रिक जान राटा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने हिमाचल को उच्च घनत्व बागवानी की उन्नत विधियों और तकनीकी हस्तांतरण का आश्वासन दिया।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि हिमाचल और न्यूजीलैंड की भौगोलिक परिस्थितियों में काफी समानताएं हैं। सेब और नाशपाती उत्पादन में सहयोग से राज्य के बागवानों की आर्थिकी मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि उन्नत तकनीक और किसानों के प्रशिक्षण से उत्पादन में वृद्धि, फसल उपरांत प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में मदद मिलेगी। इससे हिमाचल के सेब और नाशपाती की वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी।

सीएम ने कहा कि न्यूजीलैंड के विशेषज्ञ उच्च घनत्व बागवानी, कीट एवं रोग नियंत्रण, भंडारण और विपणन रणनीतियों में मार्गदर्शन करेंगे। इससे हिमाचल की बागवानी आधारित अर्थव्यवस्था को नई ताकत मिलेगी।

बैठक में बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी, सचिव बागवानी सी. पालरासू, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, निदेशक बागवानी विनय सिंह, एनजीएपीआई की सीईओ कैरेन मोरिश, एप्लाइड रिसर्च एंड टेक्नालॉजीज के एमडी डॉ. डेविड मैंकटेलो समेत अन्य विशेषज्ञ मौजूद रहे।

फ्री ट्रेड की मांग
न्यूजीलैंड का प्रतिनिधिमंडल भारत दौरे पर है और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात कर सेब, नाशपाती और डेयरी उत्पादों के फ्री ट्रेड की पैरवी करने का आग्रह कर रहा है। इसके बदले न्यूजीलैंड प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग देने को तैयार है।

लंबा जुड़ाव
गौरतलब है कि न्यूजीलैंड 1990 से विश्व बैंक परियोजनाओं के तहत हिमाचल को तकनीकी सहयोग देता आ रहा है। वर्ष 2017 से 2022 तक भी बागवानी विभाग और उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के माध्यम से कई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए।

हिमाचल की सेब अर्थव्यवस्था
प्रदेश की सेब आधारित अर्थव्यवस्था लगभग 4,500 करोड़ रुपये की है। हर साल यहां 2.60 से 3.20 करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है। इस बार 3.60 करोड़ पेटियों का अनुमान था, लेकिन अधिक वर्षा और खराब सड़कों के कारण फसल की गुणवत्ता और परिवहन प्रभावित हुआ। कई स्थानों पर सेब काले पड़ने और पत्ते झड़ने से बागवानों को दाम भी अच्छे नहीं मिल पाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *