शिमला
अपने MLA पद से इस्तीफा देने वाले विधायकों को विधानसभा सचिव ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। विधानसभा सचिव के हवाले से जारी नोटिस में उनसे 10 अप्रैल को दोपहर 12.15 बजे विधानसभा कमेटी रूप में उपस्थित होने को कहा है। उनको अपने उपस्थित रहने की सूचना 1 दिन पहले तक लिखित रूप में देनी होगी। यदि निर्दलीय विधायक नोटिस को लेकर किसी तरह का जवाब नहीं देते हैं तो यह माना जाएगा कि वे अपने पक्ष में कोई दलील नहीं देना चाहते।
बता दें कि इन 3 निर्दलीय विधायकों होशियार सिंह, केएल ठाकुर एवं आशीष शर्मा ने गत 22 मार्च को विधानसभा सचिव के समक्ष अपना इस्तीफा दिया था। उन्होंने इसके बाद राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से मुलाकात कर इसकी जानकारी दी तथा विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के आवास पर पहुंचकर भी अपने इस्तीफे की प्रति को सौंपा था। जिस समय निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा सचिव को इस्तीफा दिया, उस समय नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर विधानसभा परिसर में मौजूद थे। इसी तरह विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात के समय भाजपा विधायक बलबीर सिंह वर्मा एवं डाॅ. जनक राज भी उपस्थित थे। निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस के कुछ मंत्री व विधायकों ने सवाल उठाए थे। उन्होंने इस बारे विधानसभा को गत 23 मार्च को लिखित रूप से आशंका जताई थी कि निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफे स्वेच्छा से नहीं दिए थे।
मौजूदा सियासी हालात में जहां विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया की भूमिका महत्वपूर्ण है, वहीं राजभवन भी स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है। सूत्रों के अनुसार राजभवन की तरफ से निर्देश आए हैं कि निर्दलीय विधायकों से जुड़े मामले को देखा जाए।
3 निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे से जुड़े मामले पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को निर्णय लेना है। यदि इस मामले के सभी पहलुओं की पड़ताल करने में देरी होती है तो मामला लंबा खिंच जाएगा। इस स्थिति में विधानसभा के 3 उपचुनावों के संदर्भ में निर्णय लेने में देरी होगी। यानी जब तक विधानसभा की तरफ से चुनाव आयोग को रिक्तियों के बारे में अवगत नहीं करवाया जाता, तब तक उपचुनाव की घोषणा नहीं होगी। बता दें कि ये तीनों निर्दलीय विधायक अपना इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हो चुके हैं तथा उन्होंने भाजपा टिकट से चुनाव मैदान में उतरने की बात कही है।

इस पूरे मामले पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा है कि तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे मंजूर करने के मामले पर वह कोई निर्देश जारी नहीं कर सकते हैं वह केवल सलाह ही दे सकते हैं क्योंकि यह विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र का मामला है। तीनों निर्दलीय विधायकों को भी उन्होंने यही कहा है कि यह केवल विधानसभा अध्यक्ष का अधिकार क्षेत्र है।
राज्यपाल ने कहा कि तीनों निर्दलियों ने पहले इस्तीफा विधानसभा सचिव को दिया और उसके बाद अध्यक्ष को भी व्यक्तिगत तौर पर मिलकर दिया। जो इस्तीफा अध्यक्ष को दिया गया है उसकी एक प्रति तीनों निर्दलियों ने मुझे भी दी है। इसलिए ही इसे मैंने स्पीकर को भेजा है और इसमें मध्य प्रदेश और कर्नाटक के मामलों का भी उल्लेख किया है कि वहां पर सुप्रीम कोर्ट से इस तरह के निर्णय आए हैं कि इस्तीफे तुरंत स्वीकार किए जाएं। अगर विधायक व्यक्तिगत तौर पर स्पीकर को इस्तीफे सौंपते हैं तो यह मंजूर किए जाने चाहिए। उनके ध्यान में कोर्ट के फैसले लाए गए हैं। हालांकि, इस विषय पर वह केवल सलाह ही दे सकते हैं। उनका कोई भी सांविधानिक अधिकार नहीं है। यदि विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय से असंतोष है तो वे कोर्ट जा सकते हैं। उन्हें इस बात का संतोष है कि स्पीकर ने उन्हें जवाब भी भेजा है जिसमें कुछ बातें की हैं। पर न्यायालय के फैसलों को देखते हुए वह यह मानते हैं कि यह इस्तीफे मंजूर किए जाने चाहिए।