भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (IIAS), शिमला मे “लौकिक सौहार्द के लिए वैदिक ज्ञान” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

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शिमला

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (IIAS), शिमला मे “लौकिक सौहार्द के लिए वैदिक ज्ञान” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी है । संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र मे आज मुख्य अतिथि के रूप में केरल के माननीय राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भाग लिया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य वैदिक ज्ञान की गहन अंतर्दृष्टि और लौकिक सौहार्द को बढ़ावा देने में उनकी प्रासंगिकता पर चर्चा है। दो दिवसीय इस संगोष्ठी में देश भर के प्रसिद्ध विद्वान गहन वैचारिक चर्चाओं में भाग लेंगे।

संगोष्ठी में वैदिक ज्ञान द्वारा प्रस्तुत वास्तविकता के समग्र, सर्वांगीण और आध्यात्मिक दृष्टिकोण पर विशेषज्ञों द्वारा विचार व्यक्त किए जाने है । कैसे ये प्राचीन शिक्षाएं हमारा अधिक सामंजस्यपूर्ण जीवन शैली की ओर मार्गदर्शन कर सकती । यूनिवर्सल वेदा रिसर्च इंस्टीट्यूट थिरूवन्नामाली तमिलनाडु और संथीगिरि रिसर्च फाउंडेशन थिरूवन्नामाली केरल के सहयोग से य़ह राष्ट्रीय संगोष्ठी शिमला में आयोजित की जा रही है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उद्घाटन सम्बोधन मे कहा कि वैदिक सोच मानव मे ही समानता नहीं अपितु हरेक जीवात्मा को समानता देती है और सत्य को अपनाने की सीख देती है।

आजादी के बाद देश मे मानव अधिकार को लागू किया गया जबकि वेदों में हजारों वर्ष पूर्व dignity को विशाल रूप में परिभाषित किया गया था ।

पत्रकारो से बातचीत में उन्होंने कहा कि सभी संविधानिक आदर्श हमारी परम्पराओं से ही निकले हैं सेक्युलरिज्म भी भारत की परम्परागत है मगर य़ह शब्द भारतीय नहीं है, भारत में पारम्परिक रूप से बहुधा शब्द उपयोग किया जाता है। विश्व शांति और सौहार्द्र के लिए वैदिक परम्पराओं को आचरण मे शामिल करने की आवश्यकता है ताकि दुनिया हमसे सबक ले । उन्होंने कहा कि लंबे समय की गुलामी के नतीजतन हम अपनी विरासत से अनभिज्ञ हो गए है । हमारे गुलामी भी इसी का नतीजा था कि हम अपने मूल्यों से पथभ्रष्ट हो गए थे। उन्होंने कहा कि वैदिक सोच मे सभी सामान है और सभी ब्रम्ह है तो अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक कोई नहीं।

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