राज्यपाल ने गिरि गंगा जल स्रोत पुनरुद्धार अभियान का शुभारंभ किया

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राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज शिमला जिला के जुब्बल उपमंडल में लगभग 9,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित गिरि गंगा में जल स्रोत पुनरुद्धार अभियान का शुभारंभ किया। राज्यपाल ने स्वच्छता अभियान में भाग लिया और वन एवं जल संरक्षण के महत्व पर बल दिया। उन्होंने मंदिर परिसर में चिनार का पौधा भी रोपित किया, जो प्रकृति के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।स्वच्छता अभियान का आयोजन होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा, अग्निशमन सेवा और एसडीआरएफ द्वारा स्थानीय महिला मंडलों के सहयोग से किया गया।

राज्यपाल ने महिला मंडलों को पौधे भेंट किए और उन्हें अपनी-अपनी पंचायतों में पारंपरिक जल निकायों के रखरखाव में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित भी किया।राज्यपाल ने महिलाओं से पर्यावरण संरक्षण और मादक द्रव्यों के सेवन के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि महिलाएं इन दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि जल जीवन का स्रोत है और हमें इसकी शुद्धता और निरंतरता सुनिश्चित करनी चाहिए।

गिरि गंगा के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने इसे आस्था, वन और भूमि से जुड़ी विरासत बताया।शिव प्रताप शुक्ल ने जलवायु परिवर्तन और घटते प्राकृतिक संसाधनों की चुनौतियों के दृष्टिगत गिरि गंगा जैसे पारंपरिक जल स्रोतों को संरक्षित और पुनर्जीवित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे जल स्रोत न केवल अमूल्य प्राकृतिक संपत्ति हैं, बल्कि पवित्र विरासत भी हैं जिन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए।उन्होंने पर्यावरण संबंधी समस्याओं को दूर करने में होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा, अग्निशमन सेवा और एसडीआरएफ की सक्रिय भूमिका की सराहना की और कहा कि ये संगठन पारंपरिक रूप से आपातकालीन सेवाओं से जुड़े हैं और अब पारिस्थितिक संरक्षण में सराहनीय कार्य कर रहे हैं।

राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में, पारंपरिक जल स्रोतों ने सदियों से लोगों को अमूल्य जल की सुविधा प्रदान की है। दुर्भाग्यवश आधुनिकीकरण और शहरीकरण के कारण यह उपेक्षित हुए हैं और अब उन्हें पुनर्जीवित करने की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने स्थानीय समुदायों, विशेषकर युवाओं से पेड़ों और जल स्रोतों के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का संकल्प लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक राजकीय पहल नहीं, बल्कि जल संरक्षण एक जन आंदोलन बनना चाहिए।

इससे पहले, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक तथा होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा एवं अग्निशमन सेवाओं की कमांडेंट जनरल सतवंत अटवाल त्रिवेदी ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा बताया कि अभियान के प्रथम चरण के तहत 950 पारंपरिक जल स्रोतों की पहचान की गई है। इनमें से 236 की स्वच्छता का कार्य विभाग की 74 कंपनियों तथा 14 प्रशिक्षण केंद्रों द्वारा किया जा चुका है। गिरि गंगा इस पहल का 237वां जल स्रोत है। उन्होंने इन जल स्रोतों की पहचान और संचालन में महिला मंडलों की सराहना की तथा कहा कि महिलाएं इन स्थलों को स्वच्छ तथा क्रियाशील बनाए रखने के लिए निरीक्षक की भूमिका निभाएंगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह स्थल स्वच्छ और निरंतर बने रहें।कमांडेंट राज पाल नेपटा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव सी.पी. वर्मा, पंचायत प्रतिनिधि, महिला मंडलों के सदस्य, होमगार्ड के कमांडेंट कुलदीप कपिल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के पुलिस अधीक्षक अर्जित सेन, गिरि गंगा इको-टूरिज्म सोसायटी के अध्यक्ष लोकपाल शरखोली तथा अन्य गणमान्य भी उपस्थित थे।

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