शिमला
आईजीएमसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन संबंधित सीटू के बैनर तले आईजीएमसी अस्पताल के सफाई, वार्ड अटेंडेंट, ईसीजी, मैस तथा अन्य पैरामेडिकल व लॉन्ड्री कर्मियों ने लगभग डेढ़ सौ कर्मियों का दो महीने से वेतन भुगतान न होने से खफा होकर आईजीएमसी मुख्य गेट के पास विराट धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान अस्पताल के सैंकड़ों कर्मियों ने आईजीएमसी प्रबंधन व ठेकेदारों के खिलाफ मोर्चा बांधा। यूनियन ने अस्पताल के प्रधानाचार्य, अतिरिक्त निदेशक व चिकित्सा अधीक्षक से तत्काल मांगों का समाधान मांगा है अन्यथा 23 दिसंबर के बाद यूनियन निर्णायक आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगी। यूनियन ने निर्णय लिया है कि 23 दिसंबर के बाद आईजीएमसी प्रशासन व ठेकेदारों की मिलीभगत के खिलाफ निरंतर आंदोलन होगा। इसके तहत हड़ताल, धरने प्रदर्शन, राजभवन, सचिवालय, महात्मा गांधी प्रतिमा, उपायुक्त कार्यालय मार्च व अधिकारियों के घेराव होंगे। यूनियन ने अस्पताल के प्रबंधन व ठेकेदारों पर आरोप लगाया है कि वे मजदूरों का भयंकर शोषण कर रहे हैं। उन्होंने माननीय न्यायालय में आईजीएमसी प्रबंधन के उस हलफनामे का कड़ा संज्ञान लिया है व उसकी निंदा की है जिसमें प्रबंधन ने इन मजदूरों की नियुक्ति व वेतन देने से पल्ला झाड़ लिया है। यूनियन ने आईजीएमसी प्रबंधन से पूछा है कि कोविड योद्धाओं से ऐसा बर्ताव करने के पीछे उनका कौन सा गुप्त एजेंडा है। प्रदर्शन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, राज्य उपाध्यक्ष जगत राम, जिला कोषाध्यक्ष बालक राम, विवेक कश्यप, राम प्रकाश, यूनियन अध्यक्ष वीरेंद्र लाल, महासचिव नोख राम, कोषाध्यक्ष सीता राम, निशा, सरीना, सुरेंद्रा, उमा, विद्या, प्रवीण, भूमि, वनीता, राजेंद्र, धनी राम, संजीव, सुनीता, सुशीला, लेख राज, जगत राम, वंदना, चमन, सुनीता, विद्या ग़ाज़टा, उमा, सन्नी , संदीप, हीरा लाल सहित सैंकड़ों मजदूर शामिल रहे।
विजेंद्र मेहरा, विरेंद्र लाल, नोख राम, निशा व भूमि ने आईजीएमसी अस्पताल प्रबन्धन व ठेकेदारों पर मजदूरों के गम्भीर शोषण का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि एक सौ पचास से ज्यादा वार्ड एटेंडेंट, सफाई, सुरक्षा कर्मियों व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ को नौकरी से निकालने की साजिश रची जा रही है। इन एक सौ पचास मजदूरों को दो महीने से वेतन भी नहीं दिया गया है। इसके अलावा आईजीएमसी के किसी भी आउटसोर्स कर्मी को दिसंबर महीने की सात तारीख बीत जाने के बावजूद भी नवंबर महीने के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। मजदूरों से अपने कार्य के अतिरिक्त कार्य करवाया जा रहा है व उन्हें अतिरिक्त कार्य का वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा व इसके खिलाफ निर्णायक आंदोलन होगा। जरूरत पड़ी तो मजदूर यूनियन नौकरी की सुरक्षा के लिए हड़ताल पर उतर जाएंगे। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी अस्पताल में अंग्रेजों के ज़माने के काले कानून आज भी जारी हैं। यहां हायर एन्ड फायर नीति जारी है। अस्पताल में मजदूरों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन तक नहीं मिल रहा है। आईजीएमसी में अभी भी श्रम कानूनों का गला घोंट कर दर्जनों कोविड कर्मियों व सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी अस्पताल में न्यूनतम वेतन, ईपीएफ, ईएसआई, छुट्टियों, आठ घण्टे के कार्य दिवस, हर माह सात तारीख से पूर्व वेतन भुगतान, बोनस, चेंजिंग रूम, दो वर्दी सेट आदि मुद्दों का समाधान नहीं किया जा रहा है। आईजीएमसी अस्पताल के ठेकेदार श्रम क़ानूनों व 12 जून के श्रम कार्यालय में हुए समझौते की खुली अवहेलना कर रहे हैं। उन्होंने चेताया है कि अगर श्रम कानून लागू न हुए तो आंदोलन तेज होगा व आईजीएमसी अस्पताल के मजदूर सड़कों पर उतरेंगे।