कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुए अमानवीय कुकृत्य पर देशभर में डॉक्टर एसोसिएशन हड़ताल पर हैं। ऐसे में राजधानी शिमला के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान IGMC में भी डॉक्टर हड़ताल पर हैं और महिला डॉक्टर के मुख्य आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने की मांग कर रहे हैं। अपनी सुरक्षा को लेकर हड़ताल पर जाने अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं भी चरमरा गई हैं।
शनिवार को IGMC समेत अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं जिससे अस्पताल में आने वाले हजारों की संख्या में मरीजों का उपचार नहीं हो पा रहा है। डॉक्टरों ने निर्णय लिया है कि वे सिर्फ और सिर्फ आपातकाल में आने वाले मरीजों को देखेंगे इसके अलावा किसी अन्य मरीज का उपचार नहीं करेंगे।
अस्पताल में इमरजेंसी के अलावा सभी अन्य सेवाओं को बंद रखा गया है। इसके अलावा जिन मरीजों को महीना पहले टेस्ट करवाने की डेट मिली थी, वह टेस्ट भी आज नहीं हो पाए हैं। हड़ताल की वजह से सैकड़ों किलोमीटर दूर से अस्पताल पहुंचने वाले मरीज और उनके तीमारदार परेशान हो रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में जिन लोगों को हड़ताल की जानकारी नहीं थी। वह अस्पताल पहुंच गए और उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। शनिवार को हड़ताल पर जाने के बाद रविवार की छुट्टी और सोमवार को रक्षा बंधन का त्यौहार आने के बाद अब मंगलवार तक मरीजों का उपचार नहीं हो पाएगा।
अस्पताल में पहले से दाखिल मरीज भी अपने न तो टेस्ट करवा पा रहे हैं और न ही नए मरीजों का उपचार हो या रहा है। ऐसे में लोगों ने डॉक्टरों पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि आखिर डॉक्टरों की हड़ताल का खामियाजा मरीजों को क्यों भुगतना पड़ रहा है।लोगों का कहना है कि देश में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और रेप जैसी घटनाएं शर्मनाक और निंदनीय हैं इस पर सरकार को सख्त कानून बनाने चाहिए लेकिन इस घटना के बाद देशभर के डॉक्टरों का हड़ताल पर जाना मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करना है।
अस्पताल आए तीमारदारों का कहना है कि उन्हें कोलकाता में महिला डॉक्टर से हुए अमानवीय कुकृत्य का दुख है लेकिन दूसरी ओर डॉक्टरों को अस्पताल आए मरीजों का इलाज करना चाहिए न कि हड़ताल पर जाकर मरीजों को परेशान करने का काम करना चाहिए। लोगों का कहना है कि डॉक्टर एसोसिएशन इस मामले पर सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग करनी चाहिए और अस्पतालों में नियमित रूप से अपनी सेवाएं देनी चाहिए ताकि मरीजों को समय पर उपचार मिल सके।